15 Thousand Autos, 3200 Only Took Color Code – 15 हजार ऑटो, 3200 ने ही लिया कलर कोड - NOFAA

15 Thousand Autos, 3200 Only Took Color Code – 15 हजार ऑटो, 3200 ने ही लिया कलर कोड

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नोएडा। जिले में ऑटो का सफर सुरक्षित बनाने के लिए ट्रैफिक पुलिस ने कलर कोड योजना तो लागू कर दी है, लेकिन ट्रैफिक पुलिस की लापरवाही ने इस योजना की हवा निकालकर रख दी है। जिले में 15 हजार रजिस्टर्ड ऑटो के परमिट हैं, लेकिन महज 3200 ने ही कलर कोड लिया है। नोएडा में कोड और बिना कोड वाले ऑटो पहले की तरह बेलगाम दौड़ रहे हैं। कलर कोड के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है।
ट्रैफिक पुलिस ने 4 मार्च को ऑटो कलर कोड अभियान शुरू किया था। दावा था कि 15 दिन तक अभियान चलेगा और इसके बाद से सड़कों पर सख्ती शुरू कर दी जाएगी, लेकिन इस अभियान के प्रति ट्रैफिक पुलिस की संजीदगी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 15 मार्च के बाद कितने ऑटो को कलर कोड दिए गए, इसकी जानकारी भी अधिकारियों के पास नहीं है।
नोएडा जोन के ट्रैफिक इंस्पेक्टर आशुतोष सिंह ने बताया कि 15 मार्च तक 3209 ऑटो को कलर कोड दिए जा चुके हैं। सिटी परमिट के ऑटो की कुल संख्या 2347 हैं, लेकिन 527 ने ही कोड लिया है। एनसीआर ऑटो की संख्या 1996 है, जबकि कोड 1138 को दिया गया है। दादरी परमिट के ऑटो 4146 हैं, जो कोड लेने में सबसे पीछे हैं। महज 290 ऑटो को ही कोड दिया गया है। कासना में सबसे ज्यादा 6617 परमिट हैं, लेकिन महज 1254 ने कोड लिया है।
आंकड़े जिले में बेलगाम ऑटो व्यवस्था की पोल खुद ही खोल रहे हैं। सेक्टर-37 और परी चौक पर ऑटो कलर कोड के नाम पर सत्यापन कैंप चल रहा है। कैंप के आसपास ही अवैध तरीके से बिना परमिट के ऑटो खुलेआम दौड़ते देखे जा सकते हैं। वहीं, गाजियाबाद और दिल्ली परमिट के ऑटो भी शहर की सड़कों पर बेरोकटोक दौड़ रहे हैं। योजना है कि कलर कोड से जिले में अवैध तरीके से चल रहे ऑटो की पहचान आसान होगी। यात्रियों को राहत मिलेगी और सड़कों पर जाम का सबब बन रही ऑटोवालों की भीड़ को व्यवस्थित किया जा सकेगा।
दिल्ली-गाजियाबाद के ऑटो को भी दिए कोड
ऑटो रिक्शा चालक एसोसिएशन के अध्यक्ष लालबाबू ने ऑटो कलर कोड योजना पर सवाल खड़ा किया है। उनका कहना है कि दिल्ली और गाजियाबाद के ऑटो को भी कलर कोड दिए जा रहे हैं। हालांकि, ट्रैफिक पुलिस का कहना है कि एनसीआर परमिट के जो भी ऑटो नोएडा में आते हैं, उन्हें कलर कोड देने से व्यवस्था को प्रभावी बनाया जा सकेगा।

नोएडा। जिले में ऑटो का सफर सुरक्षित बनाने के लिए ट्रैफिक पुलिस ने कलर कोड योजना तो लागू कर दी है, लेकिन ट्रैफिक पुलिस की लापरवाही ने इस योजना की हवा निकालकर रख दी है। जिले में 15 हजार रजिस्टर्ड ऑटो के परमिट हैं, लेकिन महज 3200 ने ही कलर कोड लिया है। नोएडा में कोड और बिना कोड वाले ऑटो पहले की तरह बेलगाम दौड़ रहे हैं। कलर कोड के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है।

ट्रैफिक पुलिस ने 4 मार्च को ऑटो कलर कोड अभियान शुरू किया था। दावा था कि 15 दिन तक अभियान चलेगा और इसके बाद से सड़कों पर सख्ती शुरू कर दी जाएगी, लेकिन इस अभियान के प्रति ट्रैफिक पुलिस की संजीदगी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 15 मार्च के बाद कितने ऑटो को कलर कोड दिए गए, इसकी जानकारी भी अधिकारियों के पास नहीं है।

नोएडा जोन के ट्रैफिक इंस्पेक्टर आशुतोष सिंह ने बताया कि 15 मार्च तक 3209 ऑटो को कलर कोड दिए जा चुके हैं। सिटी परमिट के ऑटो की कुल संख्या 2347 हैं, लेकिन 527 ने ही कोड लिया है। एनसीआर ऑटो की संख्या 1996 है, जबकि कोड 1138 को दिया गया है। दादरी परमिट के ऑटो 4146 हैं, जो कोड लेने में सबसे पीछे हैं। महज 290 ऑटो को ही कोड दिया गया है। कासना में सबसे ज्यादा 6617 परमिट हैं, लेकिन महज 1254 ने कोड लिया है।

आंकड़े जिले में बेलगाम ऑटो व्यवस्था की पोल खुद ही खोल रहे हैं। सेक्टर-37 और परी चौक पर ऑटो कलर कोड के नाम पर सत्यापन कैंप चल रहा है। कैंप के आसपास ही अवैध तरीके से बिना परमिट के ऑटो खुलेआम दौड़ते देखे जा सकते हैं। वहीं, गाजियाबाद और दिल्ली परमिट के ऑटो भी शहर की सड़कों पर बेरोकटोक दौड़ रहे हैं। योजना है कि कलर कोड से जिले में अवैध तरीके से चल रहे ऑटो की पहचान आसान होगी। यात्रियों को राहत मिलेगी और सड़कों पर जाम का सबब बन रही ऑटोवालों की भीड़ को व्यवस्थित किया जा सकेगा।

दिल्ली-गाजियाबाद के ऑटो को भी दिए कोड

ऑटो रिक्शा चालक एसोसिएशन के अध्यक्ष लालबाबू ने ऑटो कलर कोड योजना पर सवाल खड़ा किया है। उनका कहना है कि दिल्ली और गाजियाबाद के ऑटो को भी कलर कोड दिए जा रहे हैं। हालांकि, ट्रैफिक पुलिस का कहना है कि एनसीआर परमिट के जो भी ऑटो नोएडा में आते हैं, उन्हें कलर कोड देने से व्यवस्था को प्रभावी बनाया जा सकेगा।

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