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सुशील पांडेय
नोएडा। नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) में नोएडा प्राधिकरण की संपत्तियों से जुड़े कई मामले चल रहे हैं। यहां ग्रुप हाउसिंग और कॉमर्शियल प्रोपर्टी के मामले की सुनवाई चल रही है। इन सभी मामलों में नोएडा प्राधिकरण ने हजारों करोड़ रुपये का क्लेम किया है। यह राशि मिल जाए तो विकास की रफ्तार गति पकड़ लेगी। इन सभी मामलों में प्राधिकरण ने जमीन तो दे दी, लेकिन कंपनी दिवालिया प्रक्रिया में चली गई। हालांकि अंतिम फैसला आने तक प्राधिकरण को इंतजार करना होगा। कंपनी की नीलामी अगर एनसीएलटी की ओर से होती है तो नीलामी से मिले पैसे में से प्राधिकरण को भी उसका हिस्सा मिलने की उम्मीद है।
वाणिज्यिक संपत्ति के मामले में फंसा करीब एक हजार करोड़
नोएडा प्राधिकरण के वाणिज्यिक संपत्ति के मामले में एक हजार करोड़ से ज्यादा की रकम फंसी हुई है। इसमें सबसे प्रमुख मामला दिल्ली वन प्रोजेक्ट का है। इस मामले में प्राधिकरण का करीब 934 करोड़ रुपया फंसा हुआ है। सेक्टर-16बी के बुलेवार्ड प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड के इस प्रोजेक्ट का आवंटन 2010 में किया गया था। यहां दुकानें बननी थीं, लेकिन 2019 में मामला एनसीएलटी में चला गया। इसी तरह से सेक्टर-150 के स्पोर्ट्स सिटी के एक मामले में नियो इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड पर 52 करोड़ का बकाया है। इसका आवंटन भी 2010 में किया गया था। यह प्रोजेक्ट लॉजिक्स को मिले प्रोजेक्ट का हिस्सा बताया गया। इसके अलावा सेक्टर-79 के स्पोर्ट्स सिटी के एक मामले में भी प्राधिकरण की ओर से क्लेम किया जाना है। अभी क्लेम की गणना की जा रही है।
ग्रुप हाउसिंग के कई मामले एनसीएलटी में, फंसे पैसे
ग्रुप हाउसिंग के तहत नोएडा प्राधिकरण ने बिल्डरों को 10 प्रतिशत राशि के आधार पर जमीन तो दे दी, लेकिन इनमें से कुछ बिल्डर दिवालिया प्रक्रिया में चले गए। इस मामले में एनसीएलटी में सुनवाई चल रही है। बताया जा रहा है कि ऐसे कई मामले हैं जिनमें प्राधिकरण का हजारों करोड़ रुपया फंसा हुआ है। ऐसा ही एक मामला अभी अभी प्राधिकरण के सामने आया है। इसमें प्रोजेक्ट के आईआरपी की ओर से प्राधिकरण से क्लेम करने को कहा गया है। मामला सेक्टर-143 के प्रोजेक्ट ड्रीम प्रोकॉन प्राइवेट लिमिटेड का है। प्रोजेक्ट लॉजिक्स के प्रोजेक्ट से टूटकर बना है। इस प्रोजेक्ट के अंतर्गत 6 लाख वर्गमीटर में 519 यूनिट बनने थे। लेकिन मामला 2019 में एनसीएलटी में चला गया। अब प्राधिकरण को इस मामले में आईआरपी को क्लेम की राशि बतानी है। ऐसे ही कई मामलों में प्राधिकरण ने एनसीएलटी में क्लेम किया है। लेकिन अब तक प्राधिकरण को कोई भी राशि नहीं मिली है।
प्राधिकरण को विकास कार्यों में करनी पड़ रही कटौती
नोएडा प्राधिकरण के पास फिक्स डिपोजिट की बेहद कम राशि बची हुई है। साथ ही राजस्व आने की उम्मीद धीरे-धीरे खत्म हो रही है। अधिकारियों के मुताबिक ऐसे में अगर ऐसे फंसे हुए पैसे प्राधिकरण को मिले तो निश्चित तौर पर प्राधिकरण इन पैसों का उपयोग विकास कार्यों में करेगा। इससे शहर का विकास होगा और लोगों को लाभ मिलेगा।
सुशील पांडेय
नोएडा। नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) में नोएडा प्राधिकरण की संपत्तियों से जुड़े कई मामले चल रहे हैं। यहां ग्रुप हाउसिंग और कॉमर्शियल प्रोपर्टी के मामले की सुनवाई चल रही है। इन सभी मामलों में नोएडा प्राधिकरण ने हजारों करोड़ रुपये का क्लेम किया है। यह राशि मिल जाए तो विकास की रफ्तार गति पकड़ लेगी। इन सभी मामलों में प्राधिकरण ने जमीन तो दे दी, लेकिन कंपनी दिवालिया प्रक्रिया में चली गई। हालांकि अंतिम फैसला आने तक प्राधिकरण को इंतजार करना होगा। कंपनी की नीलामी अगर एनसीएलटी की ओर से होती है तो नीलामी से मिले पैसे में से प्राधिकरण को भी उसका हिस्सा मिलने की उम्मीद है।
वाणिज्यिक संपत्ति के मामले में फंसा करीब एक हजार करोड़
नोएडा प्राधिकरण के वाणिज्यिक संपत्ति के मामले में एक हजार करोड़ से ज्यादा की रकम फंसी हुई है। इसमें सबसे प्रमुख मामला दिल्ली वन प्रोजेक्ट का है। इस मामले में प्राधिकरण का करीब 934 करोड़ रुपया फंसा हुआ है। सेक्टर-16बी के बुलेवार्ड प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड के इस प्रोजेक्ट का आवंटन 2010 में किया गया था। यहां दुकानें बननी थीं, लेकिन 2019 में मामला एनसीएलटी में चला गया। इसी तरह से सेक्टर-150 के स्पोर्ट्स सिटी के एक मामले में नियो इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड पर 52 करोड़ का बकाया है। इसका आवंटन भी 2010 में किया गया था। यह प्रोजेक्ट लॉजिक्स को मिले प्रोजेक्ट का हिस्सा बताया गया। इसके अलावा सेक्टर-79 के स्पोर्ट्स सिटी के एक मामले में भी प्राधिकरण की ओर से क्लेम किया जाना है। अभी क्लेम की गणना की जा रही है।
ग्रुप हाउसिंग के कई मामले एनसीएलटी में, फंसे पैसे
ग्रुप हाउसिंग के तहत नोएडा प्राधिकरण ने बिल्डरों को 10 प्रतिशत राशि के आधार पर जमीन तो दे दी, लेकिन इनमें से कुछ बिल्डर दिवालिया प्रक्रिया में चले गए। इस मामले में एनसीएलटी में सुनवाई चल रही है। बताया जा रहा है कि ऐसे कई मामले हैं जिनमें प्राधिकरण का हजारों करोड़ रुपया फंसा हुआ है। ऐसा ही एक मामला अभी अभी प्राधिकरण के सामने आया है। इसमें प्रोजेक्ट के आईआरपी की ओर से प्राधिकरण से क्लेम करने को कहा गया है। मामला सेक्टर-143 के प्रोजेक्ट ड्रीम प्रोकॉन प्राइवेट लिमिटेड का है। प्रोजेक्ट लॉजिक्स के प्रोजेक्ट से टूटकर बना है। इस प्रोजेक्ट के अंतर्गत 6 लाख वर्गमीटर में 519 यूनिट बनने थे। लेकिन मामला 2019 में एनसीएलटी में चला गया। अब प्राधिकरण को इस मामले में आईआरपी को क्लेम की राशि बतानी है। ऐसे ही कई मामलों में प्राधिकरण ने एनसीएलटी में क्लेम किया है। लेकिन अब तक प्राधिकरण को कोई भी राशि नहीं मिली है।
प्राधिकरण को विकास कार्यों में करनी पड़ रही कटौती
नोएडा प्राधिकरण के पास फिक्स डिपोजिट की बेहद कम राशि बची हुई है। साथ ही राजस्व आने की उम्मीद धीरे-धीरे खत्म हो रही है। अधिकारियों के मुताबिक ऐसे में अगर ऐसे फंसे हुए पैसे प्राधिकरण को मिले तो निश्चित तौर पर प्राधिकरण इन पैसों का उपयोग विकास कार्यों में करेगा। इससे शहर का विकास होगा और लोगों को लाभ मिलेगा।
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