400 Units Of Plasma Is Needed Per Day, 35 Units Are Available – प्रतिदिन 400 यूनिट प्लाज्मा की है जरूरत, 35 यूनिट ही मिल रहा - NOFAA

400 Units Of Plasma Is Needed Per Day, 35 Units Are Available – प्रतिदिन 400 यूनिट प्लाज्मा की है जरूरत, 35 यूनिट ही मिल रहा

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नोएडा। जिले में कोविड-19 पीड़ित गंभीर मरीजों के लिए प्लाज्मा का संकट गहरा गया है। मुख्य केंद्रों पर प्लाज्मा के लिए कॉल आने का सिलसिला पूरे दिन चलता रहता है। जिम्स, चाइल्ड पीजीआई और रोटरी क्लब नोएडा में भर्ती मरीजों के लिए प्रतिदिन 400 यूनिट प्लाज्मा की जरूरत है। इसकी एवज में तीनों संस्थानों में 30 से 35 यूनिट ही प्लाज्मा मिल पा रहा है। ऐसे में तीमारदारों को प्लाज्मा के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है।
जिले में तीन बड़े संस्थानों जिम्स, चाइल्ड पीजीआई और रोटरी क्लब नोएडा के ब्लड बैंक में प्लाज्मा दान किया जाता है और यहीं से मिलता है। इसके अलावा छोटे-छोटे ब्लड बैंक हैं, जिनमें भी प्लाज्मा दान या लिया जा रहा है। जिम्स में ब्लड बैंक विभाग की नियंत्रक डॉ. शालिनी ने बताया कि मई में शुरू के 10 दिन 30 यूनिट प्लाज्मा दिया जा रहा था। वर्तमान में लगभग 20 यूनिट तक प्लाज्मा दिया जा रहा है। जबकि, प्रतिदिन प्लाज्मा के लिए 300 कॉल आ रही हैं।
रोटरी ब्लड बैंक नोएडा के प्रबंधक राज इमाम ने बताया कि प्रतिदिन 5 से छह यूनिट प्लाज्मा का ही इंतजाम हो पाता है। कुछ दिन पहले लगभग 15 यूनिट तक इंतजाम हो पा रहा था। बताया कि प्रतिदिन करीब 50 मरीजों के तीमारदार संपर्क करते हैं। यही हाल चाइल्ड पीजीआई का भी है। अस्पताल के ब्लड बैंक के इंचार्ज डॉ. सत्यम ने बताया कि प्रतिदिन 25 से 30 लोग प्लाज्मा के लिए संपर्क कर रहे हैं, लेकिन सात से आठ यूनिट प्लाज्मा दिया जा रहा है।
14 दिन बाद नहीं बन पा रही एंटीबॉडी
डॉ. शालिनी ने बताया कि नेशनल ब्लड बैंक काउंसिल ने एंटीबॉडी के लिए मानक फाइव प्लस कर दिया है। रोटरी ब्लड बैंक के प्रबंधक राज इमाम ने बताया कि इस बार लगभग 20 फीसदी लोग ऐसे हैं, जिनमें 14 दिन से लेकर एक माह बाद एंटीबॉडी बन पाई है। ऐसे में बीमारी को मात दे चुके लोग प्लाज्मा दान नहीं कर पा रहे हैं। इस कारण से कमी बनी है। डॉ. शालिनी का कहना है कि प्लाज्मा दान करने के लिए बेहद कम लोग आ रहे हैं। जिसे प्लाज्मा चाहिए होता है, वह बदले में अपने परिवार के किसी डोनर को लाकर प्लाज्मा दान करता है। इसके बाद उन्हें मरीज के ब्लड ग्रुप का प्लाज्मा मिलता है। हालांकि, कई बार आपातकालीन स्थिति में लोगों को प्लाज्मा दिया जाता है।
प्लाज्मा के लिए एंटीबॉडी का स्तर पांच से अधिक होना जरूरी
विशेषज्ञों के अनुसार, संक्रमण से ठीक हुए मरीज 15 दिन बाद या चार माह से पहले प्लाज्मा दे सकते हैं। इसके लिए सार्स कोविड एंटीबॉडी आईजीजी, कंप्लीट ब्लड काउंट और सीरम प्रोटीन टेस्ट कराना होता है। एंटीबॉडी स्तर पांच के ऊपर पाए जाने पर ही प्लाज्मा लिया जाता है। वहीं, रोटरी क्लब ग्रेटर नोएडा के अध्यक्ष मुकुल गोयल ने बताया कि प्लाज्मा दान करने के लिए बड़े स्तर पर जागरूकता अभियान की जरूरत है। हम सोशल मीडिया और अन्य तरीकों से लोगों को जागरूक कर रहे हैं।

नोएडा। जिले में कोविड-19 पीड़ित गंभीर मरीजों के लिए प्लाज्मा का संकट गहरा गया है। मुख्य केंद्रों पर प्लाज्मा के लिए कॉल आने का सिलसिला पूरे दिन चलता रहता है। जिम्स, चाइल्ड पीजीआई और रोटरी क्लब नोएडा में भर्ती मरीजों के लिए प्रतिदिन 400 यूनिट प्लाज्मा की जरूरत है। इसकी एवज में तीनों संस्थानों में 30 से 35 यूनिट ही प्लाज्मा मिल पा रहा है। ऐसे में तीमारदारों को प्लाज्मा के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है।

जिले में तीन बड़े संस्थानों जिम्स, चाइल्ड पीजीआई और रोटरी क्लब नोएडा के ब्लड बैंक में प्लाज्मा दान किया जाता है और यहीं से मिलता है। इसके अलावा छोटे-छोटे ब्लड बैंक हैं, जिनमें भी प्लाज्मा दान या लिया जा रहा है। जिम्स में ब्लड बैंक विभाग की नियंत्रक डॉ. शालिनी ने बताया कि मई में शुरू के 10 दिन 30 यूनिट प्लाज्मा दिया जा रहा था। वर्तमान में लगभग 20 यूनिट तक प्लाज्मा दिया जा रहा है। जबकि, प्रतिदिन प्लाज्मा के लिए 300 कॉल आ रही हैं।

रोटरी ब्लड बैंक नोएडा के प्रबंधक राज इमाम ने बताया कि प्रतिदिन 5 से छह यूनिट प्लाज्मा का ही इंतजाम हो पाता है। कुछ दिन पहले लगभग 15 यूनिट तक इंतजाम हो पा रहा था। बताया कि प्रतिदिन करीब 50 मरीजों के तीमारदार संपर्क करते हैं। यही हाल चाइल्ड पीजीआई का भी है। अस्पताल के ब्लड बैंक के इंचार्ज डॉ. सत्यम ने बताया कि प्रतिदिन 25 से 30 लोग प्लाज्मा के लिए संपर्क कर रहे हैं, लेकिन सात से आठ यूनिट प्लाज्मा दिया जा रहा है।

14 दिन बाद नहीं बन पा रही एंटीबॉडी

डॉ. शालिनी ने बताया कि नेशनल ब्लड बैंक काउंसिल ने एंटीबॉडी के लिए मानक फाइव प्लस कर दिया है। रोटरी ब्लड बैंक के प्रबंधक राज इमाम ने बताया कि इस बार लगभग 20 फीसदी लोग ऐसे हैं, जिनमें 14 दिन से लेकर एक माह बाद एंटीबॉडी बन पाई है। ऐसे में बीमारी को मात दे चुके लोग प्लाज्मा दान नहीं कर पा रहे हैं। इस कारण से कमी बनी है। डॉ. शालिनी का कहना है कि प्लाज्मा दान करने के लिए बेहद कम लोग आ रहे हैं। जिसे प्लाज्मा चाहिए होता है, वह बदले में अपने परिवार के किसी डोनर को लाकर प्लाज्मा दान करता है। इसके बाद उन्हें मरीज के ब्लड ग्रुप का प्लाज्मा मिलता है। हालांकि, कई बार आपातकालीन स्थिति में लोगों को प्लाज्मा दिया जाता है।

प्लाज्मा के लिए एंटीबॉडी का स्तर पांच से अधिक होना जरूरी

विशेषज्ञों के अनुसार, संक्रमण से ठीक हुए मरीज 15 दिन बाद या चार माह से पहले प्लाज्मा दे सकते हैं। इसके लिए सार्स कोविड एंटीबॉडी आईजीजी, कंप्लीट ब्लड काउंट और सीरम प्रोटीन टेस्ट कराना होता है। एंटीबॉडी स्तर पांच के ऊपर पाए जाने पर ही प्लाज्मा लिया जाता है। वहीं, रोटरी क्लब ग्रेटर नोएडा के अध्यक्ष मुकुल गोयल ने बताया कि प्लाज्मा दान करने के लिए बड़े स्तर पर जागरूकता अभियान की जरूरत है। हम सोशल मीडिया और अन्य तरीकों से लोगों को जागरूक कर रहे हैं।

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