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नोएडा। जिले में ब्लैक फंगस मरीजों के इलाज की राह जटिल होती जा रही है। लंबे इंतजार के बाद जिले को 70 डोज मिली हैं, लेकिन इन्हें पाना मरीजों के परिजनों के लिए आसान नहीं होगा। आर्थिक स्थिति और पर्याप्त समय की उपलब्धता के बाद ही इंजेक्शन तक मरीजों की पहुंच हो सकेगी।
इसके लिए तीमारदारों को मेरठ तक जाना होगा। लंबी कागजी प्रक्रिया पूरी करने के बाद में कम से कम छह से सात घंटे लगेंगे। ऐसे में न सिर्फ तीमारदार, बल्कि मरीजों की दिक्कतें भी बढ़ गई हैं। इमलसीफाइड इंजेक्शन 1500 रुपये और लाइफोसोमल अम्फोट्रिसिन-बी इंजेक्शन 6000 रुपये में प्रति डोज मिलेगा। जबकि डॉक्टरों के अनुसार ब्लैक फंगस का इलाज छह माह तक भी चल सकता है।
मरीजों को इन इंजेक्शन की कई डोज देनी पड़ सकती हैं। ऐसे में आर्थिक रूप से कमजोर मरीजों के लिए बीमारी में इलाज कराना आसान नहीं होगा। इंजेक्शन के लिए तीमारदार को अस्पताल का पर्चा, मरीज की ब्लैक फंगस की रिपोर्ट और आधार कार्ड दिखाना अनिवार्य होगा। आवेदन के बाद टीम पहले सत्यापन करेंगी, जिसके बाद ही किसी को यह इंजेक्शन लगाए जाएंगे।
नोएडा। जिले में ब्लैक फंगस मरीजों के इलाज की राह जटिल होती जा रही है। लंबे इंतजार के बाद जिले को 70 डोज मिली हैं, लेकिन इन्हें पाना मरीजों के परिजनों के लिए आसान नहीं होगा। आर्थिक स्थिति और पर्याप्त समय की उपलब्धता के बाद ही इंजेक्शन तक मरीजों की पहुंच हो सकेगी।
इसके लिए तीमारदारों को मेरठ तक जाना होगा। लंबी कागजी प्रक्रिया पूरी करने के बाद में कम से कम छह से सात घंटे लगेंगे। ऐसे में न सिर्फ तीमारदार, बल्कि मरीजों की दिक्कतें भी बढ़ गई हैं। इमलसीफाइड इंजेक्शन 1500 रुपये और लाइफोसोमल अम्फोट्रिसिन-बी इंजेक्शन 6000 रुपये में प्रति डोज मिलेगा। जबकि डॉक्टरों के अनुसार ब्लैक फंगस का इलाज छह माह तक भी चल सकता है।
मरीजों को इन इंजेक्शन की कई डोज देनी पड़ सकती हैं। ऐसे में आर्थिक रूप से कमजोर मरीजों के लिए बीमारी में इलाज कराना आसान नहीं होगा। इंजेक्शन के लिए तीमारदार को अस्पताल का पर्चा, मरीज की ब्लैक फंगस की रिपोर्ट और आधार कार्ड दिखाना अनिवार्य होगा। आवेदन के बाद टीम पहले सत्यापन करेंगी, जिसके बाद ही किसी को यह इंजेक्शन लगाए जाएंगे।
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