Sparrow Day 2022 Noida People Taking Care Of Sparrows Read Inspiring Stories – गौरैया दिवस: मिलकर कर रहे है गौरैया का पालन, चहक रहा घर-आंगन - NOFAA

Sparrow Day 2022 Noida People Taking Care Of Sparrows Read Inspiring Stories – गौरैया दिवस: मिलकर कर रहे है गौरैया का पालन, चहक रहा घर-आंगन

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सार

गौरैया दिवस पर पढ़ें अमर उजाला की यह खास रिपोर्ट जिसमें बताया जा रहा है कि कैसे लोगों के प्रयास से नोएडा में गौरैया की चहचहाहट लौट आई है….

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एक समय था जब सुबह से गौरैया की चहचहाहट शुरू हो जाती थी। बदलते समय के साथ गौरैया भी लुप्त होने की कगार पर पहुंची गई है। वहीं, शहर के कई सेक्टर और सोसायटियां गौरैया की चहचहाहट से गूंज रही हैं। सेक्टर-120 आम्रपाली जोडियक निवासी अर्चना ने बताया कि वह इनके लिए दाना-पानी की व्यवस्था करती हैं। सुबह-शाम 12 से ज्यादा गौरैया घर पर दाना-पानी के लिए आती हैं। ऐसे ही शहर के कई लोगों के घर गौरैया की चहचहाहट गूंज रहे हैं। लोगों का कहना है कि अगर इन्हें प्राकृतिक घरौंदा मिल जाए तो वह दोबारा शहर की शान बन सकती हैं। पिछले कुछ समय से सेक्टरों में गौरैया नजर आने लगी हैं। प्रस्तुत है एक रिपोर्ट …

ढाई लाख घोंसले बनाकर बने ‘नेस्ट मैन ऑफ इंडिया’

‘नेस्ट मैन ऑफ इंडिया’ से मशहूर मयूर विहार निवासी राकेश खत्री पक्षियों की चहचहाहट को वापस लाने का प्रयास कर रहे हैं। खत्री अब तक ढाई लाख से ज्यादा घोंसले बना चुके हैं। वह 14 सालों से ऐसा कर रहे हैं। नोएडा के कई सेक्टरों और सोसायटियों में युवा, विद्यार्थी, आरडब्ल्यूए और अलग-अलग संस्थाएं उनके साथ जुड़कर घोंसला बना रही हैं। राकेश बच्चों और लोगों को घोंसला बनाना सिखाते हैं। राकेश कॉलेजों और स्कूलों में घोंसले बनाने के संबंध में कार्यशाला भी आयोजित करते हैं। उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है। ओखला पक्षी विहार में भी वह कई बार कार्यशाला आयोजित कर चुके हैं। वह यहां घोंसले लगा चुके हैं।

वक्त की पाबंद होती हैं गौरैया

सेक्टर-120 निवासी अर्चना ने बताया कि उन्होंने राकेश खत्री से घोंसला बनाना सीखा है। कई सालों से पक्षियों को दाना और पानी देती हूं। सुबह 5 बजे से ही चिड़िया बालकनी में फुदकने लगती हैं। वक्त की पाबंद गौरैया दिन में तीन बार आती हैं। गौरैया बाजरा, कुटी मूंगफली और पके चावल खाना पसंद करती है। यदि दाना नहीं डालें तो रसोई में आ जाती हैं। सेक्टर-137 सोसायटी के निवासियों ने गौरैया को बचाने के लिए प्रयासरत हैं। सेक्टर-137 के वालंटियर टीम के अभीष्ट गुप्ता ने बताया कि सोसायटी के निवासी मिलकर इस साल सेक्टर में 50 घोंसले लगाए हैं। वहीं, एटीएस ग्रेटर नोएडा निवासी नीलम शर्मा ने चिड़ियों के लिए दाना-पानी का इंतजाम किया है। उनकी बालकनी में रोज चिड़िया आती है।

पक्षियों के प्रति प्यार ने बनाया वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर

सेक्टर-137 में रहने वाले सॉफ्टवेयर इंजीनियर हिमांशु वर्मा 2-3 वर्षों से वाइल्डलाइफ और पक्षियों की फोटोग्राफी कर रहे हैं। पक्षियों के संरक्षण के लिए गार्डन में पक्षी फीडर लगाए हैं। इसमें नियमित बाजरा, मूंगफली आदि रखते हैं। यहां कई गौरैया आती हैं। हिमांशु ने बताया कि शहरी इलाकों में हाउस स्पैरो, स्पेनिश स्पैरो, सिंड स्पैरो, रसेट स्पैरो, डेड सी स्पैरो और ट्री स्पैरो प्रजाति की गौरैया पाई जाती हैं।

ग्रेनो ग्रीन फाउंडेशन कर रही जागरूक
ग्रेनो ग्रीन फाउंडेशन के सदस्य वर्ष 2018 से गौरैया संरक्षण के संबंध में लोगों को जागरूक कर रहे हैं। अभियान के तहत कई सोसायटी के निवासियों को अपने-अपने फ्लैटों में आने वाली गौरैया की फोटो और वीडियो शेयर करने की अपील की है। वहीं, सेक्टर- 79 गौड़ स्पोर्ट्स वुड निवासी मायशा सिंह गौरैया की तस्वीर बना कर लोगों को जागरूक कर रही है। इसी तरह चैलेंजर्स ग्रुप समेत कई संस्थाएं है जो गौरैया के लिए घर और ब्रीडिंग के लिए पेड़ों पर घोंसले लगा रहे हैं।

विस्तार

एक समय था जब सुबह से गौरैया की चहचहाहट शुरू हो जाती थी। बदलते समय के साथ गौरैया भी लुप्त होने की कगार पर पहुंची गई है। वहीं, शहर के कई सेक्टर और सोसायटियां गौरैया की चहचहाहट से गूंज रही हैं। सेक्टर-120 आम्रपाली जोडियक निवासी अर्चना ने बताया कि वह इनके लिए दाना-पानी की व्यवस्था करती हैं। सुबह-शाम 12 से ज्यादा गौरैया घर पर दाना-पानी के लिए आती हैं। ऐसे ही शहर के कई लोगों के घर गौरैया की चहचहाहट गूंज रहे हैं। लोगों का कहना है कि अगर इन्हें प्राकृतिक घरौंदा मिल जाए तो वह दोबारा शहर की शान बन सकती हैं। पिछले कुछ समय से सेक्टरों में गौरैया नजर आने लगी हैं। प्रस्तुत है एक रिपोर्ट …

ढाई लाख घोंसले बनाकर बने ‘नेस्ट मैन ऑफ इंडिया’

‘नेस्ट मैन ऑफ इंडिया’ से मशहूर मयूर विहार निवासी राकेश खत्री पक्षियों की चहचहाहट को वापस लाने का प्रयास कर रहे हैं। खत्री अब तक ढाई लाख से ज्यादा घोंसले बना चुके हैं। वह 14 सालों से ऐसा कर रहे हैं। नोएडा के कई सेक्टरों और सोसायटियों में युवा, विद्यार्थी, आरडब्ल्यूए और अलग-अलग संस्थाएं उनके साथ जुड़कर घोंसला बना रही हैं। राकेश बच्चों और लोगों को घोंसला बनाना सिखाते हैं। राकेश कॉलेजों और स्कूलों में घोंसले बनाने के संबंध में कार्यशाला भी आयोजित करते हैं। उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है। ओखला पक्षी विहार में भी वह कई बार कार्यशाला आयोजित कर चुके हैं। वह यहां घोंसले लगा चुके हैं।

वक्त की पाबंद होती हैं गौरैया

सेक्टर-120 निवासी अर्चना ने बताया कि उन्होंने राकेश खत्री से घोंसला बनाना सीखा है। कई सालों से पक्षियों को दाना और पानी देती हूं। सुबह 5 बजे से ही चिड़िया बालकनी में फुदकने लगती हैं। वक्त की पाबंद गौरैया दिन में तीन बार आती हैं। गौरैया बाजरा, कुटी मूंगफली और पके चावल खाना पसंद करती है। यदि दाना नहीं डालें तो रसोई में आ जाती हैं। सेक्टर-137 सोसायटी के निवासियों ने गौरैया को बचाने के लिए प्रयासरत हैं। सेक्टर-137 के वालंटियर टीम के अभीष्ट गुप्ता ने बताया कि सोसायटी के निवासी मिलकर इस साल सेक्टर में 50 घोंसले लगाए हैं। वहीं, एटीएस ग्रेटर नोएडा निवासी नीलम शर्मा ने चिड़ियों के लिए दाना-पानी का इंतजाम किया है। उनकी बालकनी में रोज चिड़िया आती है।

पक्षियों के प्रति प्यार ने बनाया वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर

सेक्टर-137 में रहने वाले सॉफ्टवेयर इंजीनियर हिमांशु वर्मा 2-3 वर्षों से वाइल्डलाइफ और पक्षियों की फोटोग्राफी कर रहे हैं। पक्षियों के संरक्षण के लिए गार्डन में पक्षी फीडर लगाए हैं। इसमें नियमित बाजरा, मूंगफली आदि रखते हैं। यहां कई गौरैया आती हैं। हिमांशु ने बताया कि शहरी इलाकों में हाउस स्पैरो, स्पेनिश स्पैरो, सिंड स्पैरो, रसेट स्पैरो, डेड सी स्पैरो और ट्री स्पैरो प्रजाति की गौरैया पाई जाती हैं।

ग्रेनो ग्रीन फाउंडेशन कर रही जागरूक

ग्रेनो ग्रीन फाउंडेशन के सदस्य वर्ष 2018 से गौरैया संरक्षण के संबंध में लोगों को जागरूक कर रहे हैं। अभियान के तहत कई सोसायटी के निवासियों को अपने-अपने फ्लैटों में आने वाली गौरैया की फोटो और वीडियो शेयर करने की अपील की है। वहीं, सेक्टर- 79 गौड़ स्पोर्ट्स वुड निवासी मायशा सिंह गौरैया की तस्वीर बना कर लोगों को जागरूक कर रही है। इसी तरह चैलेंजर्स ग्रुप समेत कई संस्थाएं है जो गौरैया के लिए घर और ब्रीडिंग के लिए पेड़ों पर घोंसले लगा रहे हैं।

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