नोएडा: आम्रपाली के फ्लैट खरीददार अपने हितों की रक्षा के लिये की मीटिंग, जिसमें सैकड़ों खरीदार बीते रविवार को मीटिंग के लिए 12 बजे इकट्ठा हुए ,आपको बता दे की यह मिटिंग नेफोवा के नेतृत्व मे बुलाई गई थी. खरीदारों का आरोप है कि पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट के द्वारा नियुक्त किए गए कोर्ट रिसीवर ने 6 परियोजनाओं के FAR को बेचने का प्रोपोजल पेश किया था, जिसमें कई सारे ऐसे प्रावधान दिए गए थे जिस में घर खरीददारों के हितों की अनदेखी की गई है,
प्रावधान क्या है
1.जमीनों पर पहला अधिकार घर खरीदारों का है क्योंकि उन्होंने अधिमान्य स्थान शुल्क (पीएलसी) का भुगतान किया है और इन सभी सुविधाओं को उक्त परियोजनाओं में जनसंख्या के घनत्व के आधार पर मास्टर प्लान में प्रदान किया गया है. इस प्रकार, बिना किसी बदलाव के मास्टर प्लान से बेसिक सुविधाओं को नहीं हटाया जाना चाहिए लिया और ऐसा करने का कोई भी प्रयास स्पष्ट रूप से अपार्टमेंट एक्ट के नियमों का उल्लंघन होगा।
2. इसके अलावा, स्कूल, अस्पताल और नर्सिंग होम, पुलिस स्टेशन, टैक्सी स्टैंड, मिल्क एवं उपयोगिता बूथ एवं कम्युनिटी मार्केट बुनियादी सुविधाएं हैं जो भविष्य की आबादी और उनकी आवश्यकताओं और को ध्यान में रखते हुए ग्रुप हाउसिंग में प्लान की जाती है. और इसमें किसी भी तरह का छेड़छाड़ हम सभी घर खरीदार नहीं होने देंगे.
3. यहाँ यह भी जोड़ना प्रासंगिक है कि बच्चों का प्ले एरिया, ग्रीन एरिया या पार्क, सब स्टेशन, फायर टेंडर का रास्ता, क्लब,एसटीपी/ईटीपी आदि कॉमन एरिया के अंतर्गत आते हैं, जिसके एवज में घर खरीदारों ने पहले ही एक आनुपातिक आधार पर भुगतान किया है और इसलिए, उनकी सहमति प्राप्त किए बिना उसमें परिवर्तन करना उनके विश्वास को धोखा देने या भंग करने के समान होगा. क्योंकि उन्होंने केवल अपनी बकाया राशि का भुगतान माननीय सर्वोच्य न्यायालय में अपना विश्वास जताते हुए कोर्ट रिसीवर की मांग के अनुरूप किया और सभी लोगों को यह आश्वस्त किया गया था कि परियोजना उनके अप्रूव्ड मैप के अनुसार ही बनेगा.
4. सुरक्षा के दृष्टिकोण से अगर देखा जाए तो फायर टेंडर पथ या एसटीपी या ईटीपी जैसी आवश्यक सुविधाओं में कोई भी बदलाव किसी भी आपात स्थिति में निवासियों के जीवन को खतरे में डालेगा और ऐसी स्थिति भी पैदा करेगा, जिसे अग्निशमन विभाग या प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड जैसे प्राधिकरण अनापत्ति प्रमाण पत्र देने में दिक्कत कर सकते हैं और उनकी मंजूरी के बिना परियोजनाओं को अथॉरिटी से ऑक्युपेंसी सर्टिफिकेट को भी प्रभावित करेगा।
5. सभी घर खरीदारों ने अपने जीवन- यापन के लिए एक घर बुक कर के अपनी मेहनत की कमाई का भुगतान किया था और इसलिए किसी भी बदलाव से अथवा सुविधाओं में छेड़-छाड़ से उनके रहने की स्थिति स्पष्ट रूप से प्रभावित होगी और यहां तक कि इन प्रीमियम परियोजनाओं की हालत कंक्रीट के झुग्गी बस्तियों जैसी हो जाएगी जिसके लिए हम सब घर खरीददार बिल्कुल भी तैयार नहीं हैं.
6. एक बात पर और भी सबको आपत्ति थी की सुनवाई के दौरान कोर्ट रिसीवर ने नोएडा एक्सटेंशन के एक नामी बिल्डर गौर संस का नाम लेते हुए यह भी कहा था उस बिल्डर के अनुसार आम्रपाली की परियोजनाओं के नजदीकी बहुत सारे कमर्शियल मॉल बने हुए हैं जिसके कारण सोसाइटी के अंदर इस तरह की सुविधाओं की आवश्यकता नहीं है. अतः FAR को बेचने के लिए इन सुविधाओं में बदलाव किया जा सकता है. घर खरीदारों का स्पष्ट रूप से यह मानना था कि आखिर गौर संस द्वारा आम्रपाली की परियोजनाओं में ऐसी क्या दिलचस्पी है जिससे वह इसको प्रभावित करने में लगे हुए हैं. अगर उन्हें (गौड़ संस) इतनी ही दिलचस्पी है तो आम्रपाली के किसी प्रोजेक्ट को सुप्रीम कोर्ट से पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर ले कर कंप्लीट करें, जिससे एनबीसीसी को दिया जाने वाला प्रोजेक्ट मैनेजमेंट कंसलटेंट राशि भी बचेगी और वह कम दाम पर प्रोजेक्ट बन सकेगा.
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